Sai Baba Jiwan Katha श्री साई सत्चरित्र
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08 th 07, 2021
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ये साई सत्चरित्र का पठण करते आप साई बाबा को साथ पाने का अनुभव करेंगे.
They read Sai Satcharitra, you will experience to get Sai Baba along.
साई सत्चरित्र कैसे पढ़े?
साईं की पूजा-पाठ के नियमों की तरह ही साईं सत्चरित्र के रख-रखाव और पालन नियम भी हैं। साईं भक्तों को यह नियम जरूर जान लेने चाहिए।
संभव हो तो इसे साईं की तस्वीर या प्रतिमा के पास ही किसी आसन पर रखनें। साईं सत्चरित्र सीधे जमीन पर नहीं रखी जानी चाहिए।
श्री साईं सत्चरित्र को हमेशा पवित्र मन और शरीर के साथ छूना और पढ़ना चाहिए।
श्री साईं सत्चरित्र का पाठ रात को सोने से पहले जरूर करना चाहिए और मन-मस्तिष्क में साईं के वचनों को पालन करने का निश्चय करते हुए,
साईं का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने वाले को साईं का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
गुरुवार को इस पुस्तक को जरूर पढ़ें और प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इसे पढ़ना चाहिए।
साईं की पूजा बहुत सामान्य और सरल होती है। साईं की पूजा में बहुत विशेष नियम भी नहीं बनाए गए हैं।
श्री साईं सत्चरित्र पढ़ते समय संभव हो तो इसे पूजा कक्ष या साईं की तस्वीर के समक्ष पढ़ें।
यदि यह संभव न हो तो मन में पहले साईं की छवि को दिल में उतार लें फिर श्री साईं सत्चरित्र पाठ शुरू करें।
श्री साईं सत्चरित्र को बांटना (शेअर करना) पुण्यकर्म माना गया है। साईं भक्त को यह कार्य करते रहना चाहिए।
ऐसा कहा जाता है की साईं बाबा का जन्म पथरी गांव में ब्राह्मण माता-पिता के घर हुआ था और बचपन में ही उन्हें एक फकीर अपने साथ ले गए थे. जब फ़क़ीर अपने घर पहुँचा तो फ़क़ीर ली पत्नी ने उन्हें भोजन खिलाया और बाद में उन्हें हिंदू गुरु वेंकुसा के देखभाली के लिए छोड़ दिया था. साईं बाबा एक शिष्य के रूप में वेंकुसा के साथ 12 साल तक रहे.
They read Sai Satcharitra, you will experience to get Sai Baba along.
साई सत्चरित्र कैसे पढ़े?
साईं की पूजा-पाठ के नियमों की तरह ही साईं सत्चरित्र के रख-रखाव और पालन नियम भी हैं। साईं भक्तों को यह नियम जरूर जान लेने चाहिए।
संभव हो तो इसे साईं की तस्वीर या प्रतिमा के पास ही किसी आसन पर रखनें। साईं सत्चरित्र सीधे जमीन पर नहीं रखी जानी चाहिए।
श्री साईं सत्चरित्र को हमेशा पवित्र मन और शरीर के साथ छूना और पढ़ना चाहिए।
श्री साईं सत्चरित्र का पाठ रात को सोने से पहले जरूर करना चाहिए और मन-मस्तिष्क में साईं के वचनों को पालन करने का निश्चय करते हुए,
साईं का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने वाले को साईं का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
गुरुवार को इस पुस्तक को जरूर पढ़ें और प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इसे पढ़ना चाहिए।
साईं की पूजा बहुत सामान्य और सरल होती है। साईं की पूजा में बहुत विशेष नियम भी नहीं बनाए गए हैं।
श्री साईं सत्चरित्र पढ़ते समय संभव हो तो इसे पूजा कक्ष या साईं की तस्वीर के समक्ष पढ़ें।
यदि यह संभव न हो तो मन में पहले साईं की छवि को दिल में उतार लें फिर श्री साईं सत्चरित्र पाठ शुरू करें।
श्री साईं सत्चरित्र को बांटना (शेअर करना) पुण्यकर्म माना गया है। साईं भक्त को यह कार्य करते रहना चाहिए।
ऐसा कहा जाता है की साईं बाबा का जन्म पथरी गांव में ब्राह्मण माता-पिता के घर हुआ था और बचपन में ही उन्हें एक फकीर अपने साथ ले गए थे. जब फ़क़ीर अपने घर पहुँचा तो फ़क़ीर ली पत्नी ने उन्हें भोजन खिलाया और बाद में उन्हें हिंदू गुरु वेंकुसा के देखभाली के लिए छोड़ दिया था. साईं बाबा एक शिष्य के रूप में वेंकुसा के साथ 12 साल तक रहे.
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